गुरुवार, 20 मई 2021

ग़ज़ल 50

 

ग़ज़ल 50 : पैर नंगे वह चल है

 

2122---2122

पैर नंगे वह चला है

पाँव छाले ,कब रुका है

 

राह बाक़ी ज़िन्दगी की

और कितनी, क्या पता है

 

 वह थका हारा हुआ है

साँस ले लेकर मरा है

 

और उसकी बेबसी को

इस ज़माने ने छला है

 

 जो लदा इतने फलों से

देखिए कितना झुका है

 

छाछ पीता फूँक कर अब

 दूध से शायद जला है

 

अर्चना की ज़िन्दगी यह

है नियामत या बला है

 

सं 12-05-21

 

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