गुरुवार, 20 मई 2021

माहिए 011

 

क़िस्त 11

1

धोकर पावन करती

वो है गंगा जल

जो दुख सारी हरती। 

 

2

हरि  ही हरियाली है

पग चूमों उनके

ये दुनिया निराली है।

 

3

आदर  उस  माँ की हो

माँ जननी जिसकी

अभिनन्दन माँ की हो।

 

4

मंजिल  को  पाना है

राहों पर चलके

श्रम को अपनाना है।

 

5

जागो,  सूरज  आया

तम ये दूर हुआ

सबको है मन भाया।


 

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