बुधवार, 19 मई 2021

ग़ज़ल 35

 

ग़ज़ल 35: तीरगी का ये कबतक

 

212—212---212---212

तीरगी का ये कब तक रहेगा असर?

रोशनी से सजाएं चलो यह शहर

 

जल है जीवन हमारा ,न दूषित करें,

लोग जाने हो क्यों आज तक बेख़बर

 

सोचना है नई पीढ़ियों के लिए ,

कारखाने उगलने लगे अब ज़हर ।

 

धूप देखो कहाँ से कहाँ चढ़ गई

जाग जाओ हुई जाने कब की सहर

 

रुकना मंज़िल से पहले गवारा नहीं

राह आगे की जितनी भी हो पुरख़तर

 

सं 02-05-2021

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें