गुरुवार, 20 मई 2021

ग़ज़ल 41

 

ग़ज़ल 41: चन्द धागों के रिश्ते---

212---212---212-----212-

 

आज रिश्ते सभी दर ब दर हो गए

आज अपने सभी बेखबर हो गए

 

याद राखी दिलाती है बातें वही = याद राखी की आती है

सोच कर अब जिन्हें बेअसर हो गए = कल के वादे आज बेअसर ह

 

अंजुमन में कभी कद्र अपनी भी थी

इन अदीबों में हम बे कदर हो गए

 

चढ़ रही थी ग़ज़ल यह किसी ताज पर

उनकी नजरों में हम बे बहर हो गए

 

गुम्बजों से तो पहचान थी ही नहीं

गम है बुनियाद भी बे अदब हो गए

 

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