शुक्रवार, 28 मई 2021

कतरन 61: अन्तरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच -पर एक काव्य पाठ गोष्ठी [29-मई 21]



अन्तरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच  29-मई-2021 शनिवार शाम 5.30-से 7.30 [ दुबई समयानुसार ] प्रस्तावित कार्यक्रम में --डा0 अर्चना पाण्डेय 
 

मंगलवार, 25 मई 2021

कतरन 60


 भोजपुरी फाउण्डेशन झारखण्‍ड के तत्वावधान में मुखिया ललन सिंह की अध्‍यक्षता में वर्चुअल श्रधान्जली कार्यकरम राजेन्द्र प्रसाद सिंह मंत्री,इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री के हुई| जिसमे हिंदी साहित्य भारती,  तेलंगाना प्रदेश की अध्यक्ष डाॕ अर्चना पाण्डेय साहित्यकार,कवयित्री, बिहार से सलील संगीतकार कुमार अजय सिंह,भोजपुरी फाउण्डेशन के चेयरमैन डाॕ अजय ओझा ,बिहार  भोजपुरी फाउण्डेशन के प्रदेश संयोजक रमेश कुमार सिंह,गिरिडीह से एन पी सिह उर्फ बुल्लू जी,धनबाद से राजेश्वर सिंह यादव,रवि रंजन सिंह,बेरमो से राजेन्द्र सिंह,वीरेन्द्र सिंह देवी सिंह शामिल हुए|सभी बक्ताओ ने राजेन्द्र प्रसाद सिंह के गुणों को चरितार्थ किया| सलील गीतकार कुमार ने गीत गाकर श्रधान्‍जली अर्पित की तो कवयित्री डाॕ अर्चना पाण्डेय ने कविता से राजेन्द्र प्रसाद सिंह एवं दोनो पुत्र विधायक कुमार जय मंगल सिह एव युव कांग्रेस झारखण्‍ड प्रदेश अध्‍यक्ष कुमार गौरव की चरितार्थ किया|

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पूरा कार्यक्रम यहाँ देखें

गुरुवार, 20 मई 2021

माहिए 013

 

किस्त 13

1

तोड़ो  मत  इस दिल को

नाजुक इतना है

छूने    दो    मंजिल   को।

 

2

जाएंगे     महफिल    में

झूमें  -  नाचेंगे

मस्ती     है     दिल    में।

 

3

पत्थर    भी    पिघलेगा

हिम्मत मत हारो

ये    किस्मत    बदलेगा।

माहिए 012

 

क़िस्त 12

1

भौंरे  मदमाते  हैं

ये मुस्काते हैं

फूलों पर गाते हैं।

 

2

लगता है क्यों हर पल

संकट में बस हम

मुझको  दे  कोई  बल।-

 

3

सुख - दुख ही जीवन है

आता जाता है

मेरा   दिल   उपवन   है।

 

4

जलता   है   जलने   दो

किस्मत  को मेरे

छलता    है   छलने   दो।

 

5

बंधन    है    रिश्तों   का

छुपके क्या मिलना

ये   प्यार   फरिश्तों   का।

 


 

माहिए 010 [ भोजपुरी ]

 

क़िस्त 10 [ भोजपुरी ]

 

1

मत प्यार जगावा तू,
उड़ जइबा इक दिन,
मत बात बनावा तू ।

 

2

बिसरे न तोहर बतिया,
 बसलऽ विदेसवा तू,
 काटे न कटे रतिया।

 

 

3

केकरा से बताइब हम,

के समझी हम के ,

केकरा से छुपाइब हम

 

4

हम नेह लगा लिहनी,

रऊआ कइसन ई,

इक रोग लगा दिहनी

 

       5

अँखियन से नीर बहे,

 अइसन लाचारी,

हिरदय सब पीर बहे।

 

सं 27/4

माहिए 011

 

क़िस्त 11

1

धोकर पावन करती

वो है गंगा जल

जो दुख सारी हरती। 

 

2

हरि  ही हरियाली है

पग चूमों उनके

ये दुनिया निराली है।

 

3

आदर  उस  माँ की हो

माँ जननी जिसकी

अभिनन्दन माँ की हो।

 

4

मंजिल  को  पाना है

राहों पर चलके

श्रम को अपनाना है।

 

5

जागो,  सूरज  आया

तम ये दूर हुआ

सबको है मन भाया।


 

माहिए 009

 

क़िस्त 09

 

       1

 जो दिल से उतर जाए  

 कोशिश हो जितनी

नज़रों में = न चढ़ पाए

 

       2

क्या शाम थी मतवाली

बीच में दोनों के

इक चाय की थी प्याली

 

      

       4

मुख से आँचल जो हटा

नूर तेरा ऐसा

चन्दा का मान  घटा

 

       5

मन में न छुपाया कर

प्यार भरी बातें

मुझको भी सुनाया कर

 

माहिए 008

 

क़िस्त 08

      

            1

देखो अलमारी में

बचपन की गुडिया

खोई किलकारी में

 

       2

बदरी क्यों बरसती है

 प्यार नहीं मुझको

 ना आंख तरसती है

 

       3

 हम भूल गए कब के

 याद नहीं कुछ भी

 क्या हम भी झूले थे

 

       4

 क्यों शोर मचाती हो

 बरखा की बूंदों

 आंगन ये भिगोती हो

 

       5

कोई न यहाँ रहता

 ढूंढ रहा किसको

 तू किससे क्या कहता


 

माहिए 007

 

 

क़िस्त 07

 

       1

 बढ़कर रुक जाता हूं

  द्वार नहीं कोई

 मैं लौट के आता हूं

 

       2

  खिल जाता है यह मन  

  मिलती हूं तुमसे

  खिल जाता है आनन

 

       3

  तुम कुछ तो बात करो

  काँप रहा है तन

   ना मेरा हाथ धरो

 

            4

कैसा ये परिंदा है

पंख कटा लेकिन   

फिर भी यह जिंदा है

 

            5

 क्यों शोर मचाते हो ?

 प्यार हुआ है तो

क्यों ढोल बजाते हो ?


 

माहिए 006

 

क़िस्त 06

 

       1

तुमको बतलाउँगी 

राज़ अगर होगा

तुमसे क्यों छु्पाऊँगी

 

       2

मुड़ के न मुझे देखो

लाज भरी बातें

मुस्कान नहीं फेंको

 

       3

  कुछ कर्ज़ रहा होगा

  सोच समझकर ही

  इस तर्ज़ कहा होगा

 

       4

  तब बोल नहीं पाया

  दिल ने गवाही दी

  अब बोल के क्या पाया

 

       5

  साजन की बातों में

  टूट रहा है दिल

  बिरहा की रातों में


 

माहिए 005

 

क़िस्त 05

 

       1

पल पल कैसे बीता

तेरे बिन जीवन

लगता है सब रीता

 

       3

जीवन भर चलते हैं

प्यार भरे रिश्ते

मन से न निकलते हैं

 

       3

बातें उन यारोँ की

कैसे भुलाओगे

चेहरे उन सारों की ?

 

       4

जो साथ सदा दुख में

भूल न जाना तुम

 उनको अपने सुख में

 

       5

क्या बात छुपाए हो

कह देंगी आँखें

जो दिल में दबाए हो


 

माहिए 004

 

क़िस्त 04

 

       1

इस दिल की बस्ती में

नाम तेरा मिरे

हाथों नु मेहंदी में

 

       2

हाथों नु बनी रेखा

मुस्काती है क्यों

जब से तुमको देखा

 

       3

उलझन इन बालों की

मत सुलझाओ ना

यादें हैं सालों की

 

       4

मन ही मन गाते हो

सुनता है यह दिल

हमको न सुनाते हो

 

       5

 खो जाती गीतों में

 खोज रहा है मन

 पर ओस नु बूंदों में


 

ग़ज़ल 50

 

ग़ज़ल 50 : पैर नंगे वह चल है

 

2122---2122

पैर नंगे वह चला है

पाँव छाले ,कब रुका है

 

राह बाक़ी ज़िन्दगी की

और कितनी, क्या पता है

 

 वह थका हारा हुआ है

साँस ले लेकर मरा है

 

और उसकी बेबसी को

इस ज़माने ने छला है

 

 जो लदा इतने फलों से

देखिए कितना झुका है

 

छाछ पीता फूँक कर अब

 दूध से शायद जला है

 

अर्चना की ज़िन्दगी यह

है नियामत या बला है

 

सं 12-05-21

 

ग़ज़ल 49

 

ग़ज़ल 49

 

2122–2122–2122

 

याद आता है मुझे चेहरा तुम्हारा,

 मैं जिसे कहती रही चंदा सा प्यारा।

 

 बिन तेरे कितना अधूरा है ये आंगन,

 भूल ना पाएगा तुझको मन हमारा ।

 

 चार दिन की चांदनी वह भी अधूरी,

 पढ रही थी इक अधूरा ख़त तुम्हारा।

 

तुम समझ लोगे मेरी मजबूरियाँ जब,

 जानती हूँ लौट आओगे दुबारा ।

 

अब नहीं चंदा मुझे देता दिलासा ,

 जो कभी तनहाइयों मे था सहारा।

 

 छटपटाती यूँ नहीं, ना डूबती मैं -

 तुम जो मेरा बन गए होते किनारा ।

 

 देखती हूँ टूटते तारे बिखरते  ,

 आसमाँ को जब कभी मैने निहारा

 

 चाहती तो हूं, भला रोकूँ मैं कैसे?

आँख बेबस देखती है बस नज़ारा

 

  पाँव धरती पर नहीं है ‘अर्चना’ के

 जब से मैने  दिल में है तुमको उतारा

 

Corrected 02-05-21

 

 

 

ग़ज़ल 48

 

ग़ज़ल 48 : मतलबी रिश्ता कोई समझा गया

 

2122---2122--212

 

मतलबी रिश्ता कोई समझा गया

आदमी शैतान बन कर आ गया

 

छाँव ठंडी मैं जिसे समझा किया

चिलचिलाती धूप बन कर छा गया

 

ज़िन्दगी थी चार दिन की ही मगर

मुद्दतों का ग़म मुझे तड़पा गया

 

प्यार की कीमत लगा बाज़ार में

इश्क़ था जो हासिए पर आ गया

 

तोड़ कर बन्धन कोई जब ’अर्चना’

एक परिभाषा नई बतला गया

 

सं 12-05-21