गुरुवार, 20 मई 2021

ग़ज़ल 43

 

 

ग़ज़ल 43 : पैर मेरे महावर की---

 

पैर मेरे महावार की लाली रहे

और पग पग सजी हरियाली रहे

 

संग सीता रहे संग गौरा रहे

गीत गाऊं सदा संग आली रहे

 

सलवटों में न गुज़रे कभी जिन्दगी

शाम सबके घरों मे दिवाली रहे

 

आज अंबे की पूजा करे अर्चना

मेरा आँचल कभी भी न ख़ाली रहे

 

 

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