ग़ज़ल 43 : पैर मेरे महावर की---
पैर मेरे महावार की लाली रहे
और पग पग सजी हरियाली रहे
संग सीता रहे संग गौरा रहे
गीत गाऊं सदा संग आली रहे
सलवटों में न गुज़रे कभी जिन्दगी
शाम सबके घरों मे दिवाली रहे
आज अंबे की पूजा करे अर्चना
मेरा आँचल कभी भी न ख़ाली रहे
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