बुधवार, 19 मई 2021

ग़ज़ल 39

 

ग़ज़ल 39 : इस तरह कुछ प्यार से---

 

2122-----2122---2122

इस तरह कुछ प्यार से मिलना पड़ेगा

 फ़र्श को भी अर्श तक चलना पड़ेगा

 

बन नहीं सकता महल बस सोचने से

 ईंट बन बन कर तुम्हें लना पड़ेगा

 

पेड़ पर सोना नहीं उगता है, प्यारे !

आग में दिन रात तो जलना पड़ेगा

 

 जब मुहब्बत चाक कर देती कलेजा

जख्म अपने हाथ से सिलना पड़ेगा

 

रोकने से कब रुका कोई फितूरी

आफताबों को नहीं ढलना पड़ेगा

 

 

क़ाफ़िया – ग़लना—छलना--


 

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