मंगलवार, 18 मई 2021

ग़ज़ल 029

 

ग़ज़ल 29 : मेरे लिए ही गीत ---

 

221---2121---1221---212

 

मौसम बहार का हो तो गाती है ज़िन्दगी

 मिलती है दोस्तों से मिलाती है जिंदगी

 

सब लोग अपनी अपनी सुनाएँगे जब तुम्हें

सुनना वही जो तुमको सुनाती है ज़िन्दगी

 

इस भाग-दौड़ में न कभी चैन मिल सका

गिरती कभी है और गिराती है ज़िन्दगी

 

  मायूस हो के जब कभी यह टूटता है दिल

तब हौसला जिगर में जगाती है ज़िन्दगी  

 

जीवन की राह में कभी जो अन्धकार हो

तब राह में चराग जलाती है ज़िन्दगी

 

मासूम सी लगी कभी आसान सी दिखी

हर मोड़ अपना रंग दिखाती है  जिंदगी

 

आएँगे रास्ते में कई मोड़ ’अर्चना’

हर मोड़ अपना रंग दिखाती है ज़िन्दगी

 

सं 07-05-21


 

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