क़िस्त
04
1
इस दिल की बस्ती में
नाम तेरा मिरे
हाथों नु मेहंदी में
2
हाथों
नु बनी रेखा
मुस्काती
है क्यों
जब
से तुमको देखा
3
उलझन
इन बालों की
मत
सुलझाओ ना
यादें
हैं सालों की
4
मन
ही मन गाते हो
सुनता
है यह दिल
हमको
न सुनाते हो
5
खो जाती गीतों में
खोज रहा है मन
पर ओस नु बूंदों में
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