गुरुवार, 20 मई 2021

माहिए 004

 

क़िस्त 04

 

       1

इस दिल की बस्ती में

नाम तेरा मिरे

हाथों नु मेहंदी में

 

       2

हाथों नु बनी रेखा

मुस्काती है क्यों

जब से तुमको देखा

 

       3

उलझन इन बालों की

मत सुलझाओ ना

यादें हैं सालों की

 

       4

मन ही मन गाते हो

सुनता है यह दिल

हमको न सुनाते हो

 

       5

 खो जाती गीतों में

 खोज रहा है मन

 पर ओस नु बूंदों में


 

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