मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

माहिए 19

 

क़िस्त 19

 

1

ताउम्र दुआ देंगे

साथ हमें ले लो

हर गम  भी भुला देंगे।

 

2

जीवन का सहारा है

छूट नहीं सकता

जो हाथ तुम्हारा है।

 

3

क्या और बताना है

प्यार की गंगा में

हमको तो नहाना है।

 

4

जीवन अभिलाषा है

कब होती पूरी ?

फिर भी है इक आशा

 

5

कैसा यह मंजर है

बातें हैं मीठी

हाथों में खंजर है।

 

डा0 अर्चना पाण्डेय

सं 12-04-22

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माहिए 18

 

क़िस्त 18

1

पाया है तुम्हें खोकर

दुनिया में मुझको

लगता ही रहा ठोकर।

 

2

यादों में बसे हो तुम

ढूढ़ रही हूँ मै

जाने न कहाँ हो गुम।

 

3

घूँघट में छुपा लेते

चेहरा हम अपना

दर्शन हम कब देते ?   

 

4

हम मान लिए गलती

ऐसी घड़ी साहिब !

हर बार नहीं मिलती।  

 

5

है बात वफाओं की

याद हमें रहती

सब बात ज़फ़ाओं की।

 

डा0 अर्चना पाण्डेय

रविवार, 10 अप्रैल 2022

माहिए 17

 

क़िस्त 17

1
आँखों के तारे थे
तुम अब तक मेरे
जीने के सहारे थे।
 
2
क्या रूप सलोना था
दिल बहलाया वो
समझा कि खिलौना था।
 
3
 दिल  मेरा दीवाना
सीख लिया तुमसे
हम पल अब इतराना।
 
4
तुमको समझाना था
लेकिन क्या तुमको
बोलो बतलाना था ?
 
डा0 अर्चना पाण्डेय

शनिवार, 9 अप्रैल 2022

माहिए 16

 किस्त 16


यूँ दर्द छुपा जाना

क्यों समझे जानम

मुझको भी बेगाना


तनहा ही जीना है

मुझको तो साकी

प्यासा ही  मरना है


कैसा यह प्याला है

प्यास नहीं बुझती

कैसी मधुशाला है।


जब हमसे तुम रुठे 

जग रुठा हमसे

सब रिश्ते थे झूठे ।


वो प्यार नहीं होता

जिसमें आशिक से

तकरार नहीं होता।


डा0 अर्चना पाण्डेय

सं 09-04-22


शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

माहिए 015

 क़िस्त 015

1

जब प्यार कभी पलता
शाम ढले चाहे
पर प्यार नहीं ढलता।

2
दिल प्यार से भर आया
बाँहो में भर कर
जब  तुमने अपनाया ।

3
किस राह से मैं आऊँ
तुम ही बता देते 
मैं तुमको पा जाऊँ।

4
वो मन के अंदर है
लगता है जैसे
सीपी में समंदर है।

5
वो प्यार भरी बातें
कट जाती जिनसे
तनहाई की रातें


डा0 अर्चना पाण्डेय


माहिए 014

 

क़िस्त 014

1

आ मेरे मनमोहन
रास रचा ऐसा
बस झूम उठे मधुवन 

2
कोयल मारे ताना
सुन मेरे साजन
अब तो तुझको आना

  3
जीवन को सजाना है
प्यार तेरा साजन
अनमोल खज़ाना है

4
रुत बासंती ऐसी
प्रीत हमारी है
सतरंगी हो जैसी

5
आना था बता देते
रंगोली से हम
आँगन तो सजा लेते।

डा0 अर्चना पाण्डेय