क़िस्त
19
1
ताउम्र
दुआ देंगे
साथ
हमें ले लो
हर
गम भी भुला देंगे।
2
जीवन
का सहारा है
छूट
नहीं सकता
जो
हाथ तुम्हारा है।
3
क्या
और बताना है
प्यार
की गंगा में
हमको
तो नहाना है।
4
जीवन
अभिलाषा है
कब
होती पूरी ?
फिर
भी है इक आशा
5
कैसा
यह मंजर है
बातें
हैं मीठी
हाथों
में खंजर है।
डा0
अर्चना पाण्डेय
सं
12-04-22
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