शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

माहिए 015

 क़िस्त 015

1

जब प्यार कभी पलता
शाम ढले चाहे
पर प्यार नहीं ढलता।

2
दिल प्यार से भर आया
बाँहो में भर कर
जब  तुमने अपनाया ।

3
किस राह से मैं आऊँ
तुम ही बता देते 
मैं तुमको पा जाऊँ।

4
वो मन के अंदर है
लगता है जैसे
सीपी में समंदर है।

5
वो प्यार भरी बातें
कट जाती जिनसे
तनहाई की रातें


डा0 अर्चना पाण्डेय


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