क़िस्त 015
1
जब प्यार कभी पलता
शाम ढले चाहे
पर प्यार नहीं ढलता।
शाम ढले चाहे
पर प्यार नहीं ढलता।
2
दिल प्यार से भर आया
बाँहो में भर कर
जब तुमने अपनाया ।
बाँहो में भर कर
जब तुमने अपनाया ।
3
किस राह से मैं आऊँ
तुम ही बता देते
मैं तुमको पा जाऊँ।
तुम ही बता देते
मैं तुमको पा जाऊँ।
4
वो मन के अंदर है
लगता है जैसे
सीपी में समंदर है।
लगता है जैसे
सीपी में समंदर है।
5
वो प्यार भरी बातें
कट जाती जिनसे
तनहाई की रातें
वो प्यार भरी बातें
कट जाती जिनसे
तनहाई की रातें
डा0 अर्चना पाण्डेय
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