डा0 अर्चना पांडेय की क़लम से .......
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रविवार, 10 अप्रैल 2022
माहिए 17
क़िस्त 17
1
आँखों के तारे थे
तुम
अब तक
मेरे
जीने के सहारे थे।
2
क्या
रूप सलोना
था
दिल बहला
या वो
समझा कि
खिलौना था।
3
दिल
मेरा
दीवाना
सीख लिया
तुमसे
हम
पल
अब इतराना।
4
तुमको समझाना था
लेकिन
क्या
तुमको
बोलो
बतलाना था ?
डा0 अर्चना पाण्डेय
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