किस्त 16
यूँ दर्द छुपा जाना
क्यों समझे जानम
मुझको भी बेगाना
तनहा ही जीना है
मुझको तो साकी
प्यासा ही मरना है
कैसा यह प्याला है
प्यास नहीं बुझती
कैसी मधुशाला है।
जब हमसे तुम रुठे
जग रुठा हमसे
सब रिश्ते थे झूठे ।
वो प्यार नहीं होता
जिसमें आशिक से
तकरार नहीं होता।
डा0 अर्चना पाण्डेय
सं 09-04-22
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