शनिवार, 9 अप्रैल 2022

माहिए 16

 किस्त 16


यूँ दर्द छुपा जाना

क्यों समझे जानम

मुझको भी बेगाना


तनहा ही जीना है

मुझको तो साकी

प्यासा ही  मरना है


कैसा यह प्याला है

प्यास नहीं बुझती

कैसी मधुशाला है।


जब हमसे तुम रुठे 

जग रुठा हमसे

सब रिश्ते थे झूठे ।


वो प्यार नहीं होता

जिसमें आशिक से

तकरार नहीं होता।


डा0 अर्चना पाण्डेय

सं 09-04-22


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