क़िस्त 014
1
आ मेरे मनमोहन
रास रचा ऐसा
बस झूम उठे मधुवन
रास रचा ऐसा
बस झूम उठे मधुवन
2
कोयल मारे ताना
सुन मेरे साजन
अब तो तुझको आना
कोयल मारे ताना
सुन मेरे साजन
अब तो तुझको आना
3
जीवन को सजाना है
प्यार तेरा साजन
अनमोल खज़ाना है
4
रुत बासंती ऐसी
प्रीत हमारी है
सतरंगी हो जैसी
प्रीत हमारी है
सतरंगी हो जैसी
5
आना था बता देते
रंगोली से हम
आँगन तो सजा लेते।
रंगोली से हम
आँगन तो सजा लेते।
डा0 अर्चना पाण्डेय
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