शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

माहिए 014

 

क़िस्त 014

1

आ मेरे मनमोहन
रास रचा ऐसा
बस झूम उठे मधुवन 

2
कोयल मारे ताना
सुन मेरे साजन
अब तो तुझको आना

  3
जीवन को सजाना है
प्यार तेरा साजन
अनमोल खज़ाना है

4
रुत बासंती ऐसी
प्रीत हमारी है
सतरंगी हो जैसी

5
आना था बता देते
रंगोली से हम
आँगन तो सजा लेते।

डा0 अर्चना पाण्डेय

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