गुरुवार, 20 मई 2021

माहिए 007

 

 

क़िस्त 07

 

       1

 बढ़कर रुक जाता हूं

  द्वार नहीं कोई

 मैं लौट के आता हूं

 

       2

  खिल जाता है यह मन  

  मिलती हूं तुमसे

  खिल जाता है आनन

 

       3

  तुम कुछ तो बात करो

  काँप रहा है तन

   ना मेरा हाथ धरो

 

            4

कैसा ये परिंदा है

पंख कटा लेकिन   

फिर भी यह जिंदा है

 

            5

 क्यों शोर मचाते हो ?

 प्यार हुआ है तो

क्यों ढोल बजाते हो ?


 

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