क़िस्त 06
1
तुमको बतलाउँगी
राज़ अगर होगा
तुमसे क्यों छु्पाऊँगी
2
मुड़
के न मुझे देखो
लाज
भरी बातें
मुस्कान
नहीं फेंको
3
कुछ कर्ज़ रहा होगा
सोच समझकर ही
इस तर्ज़ कहा होगा
4
तब बोल नहीं पाया
दिल ने गवाही दी
अब बोल के क्या पाया
5
साजन की बातों में
टूट रहा है दिल
बिरहा की रातों में
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