बुधवार, 19 मई 2021

ग़ज़ल 38

 

ग़ज़ल 38 : चाँद जब जब आसमाँ पर

 

2122—2122—212

चाँद जब जब आसमाँ पर आएगा

जानती हूँ रात भर तड़पाएगा

 

ढूँढने को दिल मेरा बेताब जब

बादलों की ओट में छुप जाएगा

 

दर्द मेरा हो जमाने का सही

गीत बन कर अश्क़ में ढल जाएगा

 

चाँद कब देगा दिलासा प्यार का

आग पर वह आग ही बरसाएगा

 

एक दिन पाती उसे मिल जायेगी

आस का दीपक न बुझने पाएगा

 

जो गया फिर कौन लौटा ’अर्चना’

वह भला क्यों लौट कर फिर आएगा

 

सं 10-05-21

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें