ग़ज़ल 46 : एक रिश्ता है तुमसे---
2122—1212—112/22
तुम से रिश्ता बहुत
पुराना है
जिन्दगी भर जिसे निभाना है
कोई मेरा न आशियाना है
तेरा दर ही मिरा ठिकाना
है
चाह मिलने की है बहुत
तुम से
चाहतों का सफर सजाना है
कोई तुझ-सा न मीत दुनिया में
राज़ दिल का तुम्हें बताना है
रूप तेरा यहाँ वहाँ देखूँ
एक जीने का बस बहाना है
रोज़ सुनते हैं गीत जीवन के
रोज़ सुनना है भूल जाना है
सं
09-05-21
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