गुरुवार, 20 मई 2021

ग़ज़ल 45

 

ग़ज़ल 45 देहरी पर दिए जगमगाने लगे---

 

212---212---212—212

 

दीप देहरी पे हैं जगमगाने लगे

गीत खुशियों के हम आज गाने लगे

 

तुम उधर स्नेह दीपक जलाते रहे

हम इधर प्रेम- दीपक जलाने लगे

 

आज दीपावली की सुखद रात है 

जो भी रिश्ते थे रूठे मनाने लगे

 

आसमाँ ने सजाए सितारे उधर

हम जमीं पर सितारे सजाने लगे

 

आज गुझिया बनी,साथ मठरी बनी

मालपूए, मिठाई सुहाने लगे

 

पुष्प अक्षत लिए हाथ में ’अर्चना’

थाल में स्वस्तिका श्री बनाने लगे

 

सं 10-05-21

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