मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

कतरन031


विशेष यहाँ देखें -----


 डा अर्चना पांडेय पर समीक्षात्मक परिचर्चा

जीवन के झंझावातों से परे हैं डा अर्चना की कविताएं.. जया मोहन

 प्रयागराज। महिला काव्य मंच प्रयागराज इकाई के तत्वावधान में एक समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन किया गया जो कि कवियत्री और कहानीकार डा अर्चना पांडेय पर केन्द्रित रहा।

        डा सरोज सिंह ने अर्चना जी के कविताओं और गजलों के विभिन्न पहलुओं पर अपनी राय रखी उन्होंने कहा कि - ' गज़ल का वजन और वजन भरे शब्दों के जरिए अर्चना जी चमन से बिछुड़ने का ग़म और आँखें नम जैसे भावों को बहुत ही सहजता से व्यक्त करती हैं।,

कवियत्री की रचनाओं के बारे में मीरा सिन्हा ने कहा कि -' कविता वजन काफी वजन दार है जिसमें अपनी मिट्टी से अलग होकर व्यक्ति कितना व्यथित होता है, यह बतलाने की कोशिश की गई है। डा अर्चना की कविता में गीत के माध्यम से सहित्य की ताकत भी बखूबी बतलाई गई है जो समाज मे क्रांति लाने में सक्षम

है ।                

 "मै सत्य हूं" शीर्षक से डा अर्चना की अतुकान्त कविता के बारे में बताते वरिष्ठ कवियत्री प्रेमा राय ने कहा कि - 'कवियित्री ने स्त्री की अस्मिता के औचित्य का गुणगान करते हुए विपरीत परिस्थिति  की कसौटी पर  स्वयं को कसते हुए  "सत्यमेव जयते का संदेश  दिया . है तो वहीं आंसू" , नारी की हताशा और सहिष्णुता किस प्रकार उसका शोषण करती है यह भी बताया है। 

वरिष्ठ साहित्यकार जया मोहन ने कहा कि, - आपकी ग़ज़ल समाज को चेताती है कि भले ही हर ज़र्रे में गुनाहगार छिपे हो पर हमेशा तम नही होगा निराश मत हो एक न एक दिनमान चैन की बयार

 भेज हमें सकारत्मकता की ओर  ले जाती है।

प्रयागराज की वरिष्ठ कवयित्री उमा सहाय ने कहा कि, - 

कवियत्री के भाव विचारोत्तेजक हैं। 'हिम्मत ही जीवन है' कविता में वह बीज तथा उसके विकास के बहाने से आत्म निर्भरता की प्रेरणा देती हैं। लघु कथा के रूप में 'अधुना 'में कहानी कला के एक विशेष गुण चरमोत्कर्ष की जिज्ञासा को अंत तक बरकरार रखा; यह डॉ. अर्चना की कहानी कला को प्रस्तुत करने की योग्यता को विशेष रूप से दर्शाता है ।


वरिष्ठ रचनाकार कविता उपाध्याय ने कहा कि '-डा अर्चना की कविता फूल तथा अंकुर के माध्यम से संदेश देती हैं कि कितने भी झंझावात आए लेकिन अडिग रहना चाहिए तभी जग सुवासित होगा।

जानी-मानी साहित्यकार देवयानी ने कहा कि' आँसू' कविता की आखिरी पंक्ति में वर्तमान की मानसिकता को कवियत्री ने कूट कूट भर दिया।"किसी ने कसा तंज मेरी हँसी पर"।"हिम्मत ही जीवन है "मे उन्होंने प्रकृति के जीवन को भी पुषपित,पल्लवित  किया है। कवियत्री और सुंदर रचनाएँ और सुंदर भाव भरे शब्दों में पाठक तक लेकर आएं।सभी ने यह शुभकामनाएं दीं।

 इस कार्यक्रम का संयोजन रचना सक्सेना एवं ऋतांधरा मिश्रा ने किया एवं अध्यक्षता प्रसिद्ध गजलकारा एवं महिला काव्य मंच पूर्वी उत्तर प्रदेश ईकाई की अध्यक्ष महक जौनपुरी ने किया।

प्रतिवेदन - उर्वशी उपाध्याय

सूचनार्थ

रचना सक्सेना

अध्यक्ष महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें