क़िस्त 01
1
वो शाम नहीं होती,
याद तेरी जिस दिन,
जिस शाम नहीं होती ।
2
कागज के टुकड़े थे
नाम तेरा लिखकर
हाथों से पकड़े थे
3
वो
प्यार का दिन पहला
मुस्काती रातें
दिल था बहला बहला
4
खोए
हो कहाँ जाने
आ
जाओ तुम बिन
मन
मेरा नहीं माने
5
ये
प्यार नहीं थकता
करता
मनमानी
रोके
से नहीं रुकता
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