बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

माहिए 001

 

क़िस्त 01

 

1

  वो शाम नहीं होती,

  याद तेरी जिस दिन,

  जिस शाम नहीं होती

 

       2

 कागज के टुकड़े थे

 नाम तेरा लिखकर

 हाथों से पकड़े थे

 

       3

वो प्यार का दिन पहला

 मुस्काती रातें

 दिल था बहला बहला

 

       4

खोए हो कहाँ जाने

आ जाओ तुम बिन

मन मेरा नहीं माने

 

       5

ये प्यार नहीं थकता

करता मनमानी

रोके से नहीं रुकता

 

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