ग़ज़ल 23 : गीत हिंदी का गाते रहें
गीत हिंदी का गाते रहे,
भाव अपना सजाते रहे।‘ 1
आज हिंदी दिवस पर्व को
हम मिल कर मनाते रहे 2
उर्दू ,अरबी हो या फ़ारसी
सब ही हिंदी में गाते रहे 4
क्यारियों में कई फूल थे
रंग अपना मिलाते रहे 5
सींचते हैं सभी बोलियाँ
शब्द अपना बनाते रहे 6
एक अमॄत सी हिंदी मेरी
सब को पीते -पिलाते रहे 7
जो अकेले थे इस राह पर
साथ उनको बुलाते रहे 8
शब्द खुद ही लगे बोलने
राह ख़ुद ही दिखाते रहे 9
’अर्चना’ की तमन्ना यही
ज्योति जलती जलाती रहे 10
-डा0 अर्चना
पांडेय-
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