बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल 023

 

ग़ज़ल 23 : गीत हिंदी का गाते रहें

 

गीत हिंदी का गाते रहे,

भाव अपना सजाते रहे।‘     1

 

आज हिंदी दिवस पर्व को

हम मिल कर मनाते रहे     2

 

उर्दू ,अरबी हो या फ़ारसी

सब ही हिंदी में गाते रहे     4

 

क्यारियों में कई फूल थे

 रंग अपना मिलाते रहे      5

 

 सींचते हैं सभी बोलियाँ

शब्द अपना बनाते रहे 6

 

 एक अमॄत सी हिंदी मेरी

सब को  पीते -पिलाते रहे   7

 

  जो अकेले थे इस राह पर 

  साथ उनको बुलाते रहे     8

 

  शब्द खुद ही लगे बोलने

  राह ख़ुद ही दिखाते रहे    9

 

अर्चना’ की तमन्ना यही

ज्योति जलती जलाती रहे  10

 

-डा0 अर्चना पांडेय-

 

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