बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल 022

  

ग़ज़ल 22 :चंद पन्नों में कैसे जबानी लिखूँ

 

212----212-----212----212

चंद पन्नों में कैसे जबानी लिखूँ

 लक्ष्मीबाई’ की कैसे कहानी लिखूँ।

 

खून झाँसी की खातिर बहाया जहाँ

उस जगह को मैं कैसे पुरानी लिखूँ।

 

मुंदरा’- सी सखी पर निछावर हूँ मैं ,

उससे बढ़कर किसे आज दानी लिखूँ।

 

जिकी साहस से वांकर गया तिलमिला

क्यों न उसको मै आज मरदानी लिखूं

 

एक वीरांगना थी, मनु नाम की  

पीढियों तक यही मैं कहानी लिखूँ।

 

कर्ज़ माटी का कैसे अदा कर गई

लक्ष्मीबाईको मैं तो सयानी लिखूँ।

 

के चर्चे सभी कर रहें ’अर्चना’मै

मैं भी ग़ज़लों में उनको दीवानी लिखूँ।

 

सं 02-05-2021

 

 


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