क़िस्त
02
1
मैं देख लूँ पल भर को
दिल में उतर आओ
कल चाहे नहीं आओ
2
तुम
ख़ुद ही समझ जाओ
छूट
रहा है क्या
मुझसे नहीं कहलाओ
3
क्या
तुमको नहीं लगता?
प्यार
का ये मौसम
रोके
से नहीं रुकता
4
क्यों
छोड़ के जाते हो,
प्यार
अगर है तो,
क्यों
प्यार छुपाते हो।
5
आंखों
के कजरे ने,
राज़ कई खोले,
बालों
के गजरे ने।
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