रविवार, 11 अक्तूबर 2020

एक कविता 01 : गंगा सी प्यारी है ---

 कविता---गंगा सी प्यारी है----

  गंगा सी प्यारी है ,  भाषा ये हमारी है 

  इसको सजाएं हम,  हिंदी में गाएंगे हम  

  कितनी पुरानी है
  चूनर यह धानी है 
  परियों की रानी है
  माँ की कहानी है

  सबको सुनाएँ हम, हिंदी में गाएं हम

  संस्कृत की बेटी है
  यह रोजी - रोटी है 
 खुशियाँ भी समेटी है 
 हर घर में पैठी है 

इसको बढ़ाएँ हम, हिंदी में गाएँ हम।

  हिंदी में चिंतन है
  कवियों का क्रंदन है
  विषयों का मंथन है 
  शोधों का ग्रंथन है 

  बंधन निभाएंगे हम,  हिंदी में गाएँ हम।

 जग भर में रेला है.
 हिंदी का मेला है
 जन गण में फैला है 
  भावों का थैला है, 

जन-जन में लाएँगे हम,हिंदी में गाएँ हम

डॉ अर्चना पाण्डेय

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