बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल 007

 

1.     पाक है इश्क़ मेरा लिखा लीजिए

 

पाक है इश्क़ मेरा लिखा लीजिए

गर यकीं हो गले से लगा  लीजिए

 

आप भी हो गए इश्क़  में मुब्तिला

उम्र भर रंज-ओ-ग़म का मज़ा लीजिए

 

तीरगी से नहीं  रोशनी से कभी

इस ग़म-ए-ज़िन्दगी को सजा लीजिए

 

आप के सामने सर झुका कर खड़ा

कोई शिकवा गिला हो मिटा लीजिए

 

प्यार करने की कोई मुहूरत नहीं

प्यार जब भी जगे बस जगा लीजिए

 

अर्चना’ आप से आज रूठी हुई

प्यार है तो फ़िर आ कर मना लीजिए

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