बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल 012

 

1.     ग़ज़ल 012 : प्यारी बातें करो

212---212---212---212

 

 बात तुम ना करो, यह अलग बात है,

 ना ही मेरी सुनो, यह अलग बात है ।

 

प्यार की है ये गंगा तुम्हारे लिए,

आचमन ना करो, यह अलग बात है

 

कौन सी है ख़ुशी जो है दिल में नहीं,

तुम हँसो ना हँसो, यह अलग बात है

 

दिल के टूटे हुए साज मुझकॊ दिखे ,

तुमको दिखता न हो, यह अलग बात है

 

धर्म की आड़ में बढ़ रहा जुर्म क्यों,

तुम भी उत्तर न दो, यह अलग बात है |

 

मीत सच्चे सदा काम आते यहाँ,

साथ दो ना भले, यह अलग बात है |

 

साथ चलने को अब आ गई 'अर्चना' ,

साथ तुम ना चलो, यह अलग बात है |

 

 

Corr 30-04-21


 


 

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