1. ग़ज़ल 012 : प्यारी बातें करो –
212---212---212---212
बात तुम ना करो, यह अलग बात है,
ना ही मेरी सुनो, यह अलग बात है ।
प्यार की है ये गंगा तुम्हारे लिए,
आचमन ना करो, यह अलग बात है ।
कौन सी है ख़ुशी जो है
दिल में नहीं,
तुम हँसो ना हँसो, यह अलग बात है ।
दिल के टूटे हुए साज
मुझकॊ दिखे ,
तुमको दिखता न हो, यह अलग बात है।
धर्म की आड़ में बढ़ रहा जुर्म क्यों,
तुम भी उत्तर न दो, यह अलग बात है |
मीत सच्चे सदा काम आते यहाँ,
साथ दो ना भले, यह अलग बात है |
साथ चलने को अब आ गई 'अर्चना' ,
साथ तुम ना चलो, यह अलग बात है |
Corr 30-04-21
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