मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल 004

 

1.     ऐ मेरी जिंदगी तू गले से मिला

 

ऐ मेरी जिंदगी तू गले से मिला

चल मेरे साथ मुझसे कदम तो मिला

 

हाँफने लग गया भागते- भागते

थोड़ी राहत तो दे, यूं न पानी पिला

 

कब किया बदसलूकी तेरी आन से

कौन सी भूल थी दे रही ये सिला

 

लड़खड़ाने लगे पाँव भी थक गए

भागता फिर रहा थोड़ी राहत दिला

 

टूटती टहनियां कब से थामे हुए

छोड़ दूँगा जड़े मुझको यूं ना हिला

 

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