क़िस्त 03
1
नग़्मों ने, गीतों ने
मोह लिया है दिल
तेरी संगीतों ने
2
आंखें
जब कहती हैं
रुकती
नहीं बातें
बस
कहती रहती हैं
3
टूटी
वो डाली थी
थाम
लिया तुमने
जो
गिरने वाली थी
4
तुम
थाम लो हाथों को
भूल
हुई मुझसे
भूलो
उन बातों को
5
बेकार
की बातों से
खेल
रहे हो क्यों
मेरी
जज़्बातों से
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