मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल 001

 ग़ज़ल 001 : .चमन से बिछड़ने का गम देख लेना

 

चमन से बिछड़ने का गम देख लेना

वतन से बिछड़ आंख नम देख लेना

 

नहीं मिल सकेगा, वो आंगन सलोना

कि ममता का सुंदर, सपन देख लेना

 

पराई जमीं हो, न पाएगी तेरी 

तू अपनों की खातिर जपन देख लेना

 

कमाया-गवांया है क्या तुमने कितना

मेरी आंख से तुम, सजन देख लेना

 

पुकारा जमीं ने मगर तुम न आए

जो आओ तो इसकी लगन देख लेना।

 

 

 

 

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