कविता--गीत--ग़ज़ल--माहिया-- और मेरी अन्य रचनाएँ
क़िस्त 36
1
चेहरे पर लाली है
दो नैना लगते
अमृत की प्याली है
2
क्या रूप सलोना है
बहलाता दिल को
ज्यों एक खिलौना है
3
हमको तो खो जाना
प्यार के सागर में
बस तेरा हो जाना
4
अरमानों का घर हो
तेरे काँधे पर
मेरा अपना सर हो
डा0 अर्चना पाण्डेय
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