रविवार, 8 मई 2022

माहिए 32

 

क़िस्त 32

 

1
महकी ये हवाएँ हैं

साजन क्या आए

छाने को घटाएँ है।

 

2

थोड़ी सी हवा दे दो

हसरत है मेरी

उलफत की दवा दे दो।

 

3

तेरी बातों में हम

खो जाते हैं क्यों

हो जाते क्यों गुमसुम।

 

4

 तुमसे कुछ कहना था

कह न सकी वो मैं

ख़ामोश ही रहना था।

 

5

नदियाँ सा बहना था

सागर के द्वारे

हमको तो रहना था।

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