क़िस्त 32
1
महकी ये हवाएँ हैं
साजन क्या आए
छाने को घटाएँ है।
2
थोड़ी सी हवा दे दो
हसरत है मेरी
उलफत की दवा दे दो।
3
तेरी बातों में हम
खो जाते हैं क्यों
हो जाते क्यों गुमसुम।
4
तुमसे कुछ कहना था
कह न सकी वो मैं
ख़ामोश ही रहना था।
5
नदियाँ सा बहना था
सागर के द्वारे
हमको तो रहना था।
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