क़िस्त 33
1
महका सा चंदन है
पास जो तुम होते
खिल जाता तन मन है।
2
मेरे होकर रहना
कह दो ना तुम भी
जो तुमको है कहना।
3
मन ही मन में पाया
साथी तुम मेरे
रहना बन कर छाया
4
क्यों हम पे मरते हो
कह दो ना इतना
तुम प्यार भी करते हो।
5
संग तेरे जीना है
तू ही मेरा काबा
तू मेरा मदीना है
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