क़िस्त 21
1
कान्हा का साथ रहे
मांग रही राधा
जीवन में स्नेह बहे
2
जब मन रँग जाता है
प्रीत की वर्षा से
जीवन रँग जाता है
3
मेरे मन के अंदर
खोज रहे हो क्या
सीपी कंकड़ पत्थर ?
4
मुँह कितना मोड़ोगे
तुमसे जुड़ा है दिल
तुम कितना तोड़ोगे ?
5
ये प्यार हमारा है
मरने ना देगा
जीने का सहारा है
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