क़िस्त
34
1
क्या नेक इरादे थे
भूल गए क्यों तुम
जो क़समें वादे थे
2
जब तुमको जाना था
केवल बातों से
क्या दिल बहलाना था ?
3
आँखे यह तरसती हैं
तुमसे मिलने को
रह रह के बरसती है
4
दिल के गलियारे में
होती है चर्चा
बस तेरे बारे में
5
जब तुमको नहीं पाता
दिल अपने घर में
हर पल है घबराता
डा0 अर्चना पाण्डेय
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