रविवार, 8 मई 2022

माहिए 30

 

क़िस्त 30

1

तुमसे  याराना है

दिल मेरा तुझपर

रहता दीवाना है।

2

इन प्यार की  गलियों में

तू ही नज़र आया

फूलों में कलियों में

3

ये पीर नहीं कोई

अपने हाथों से

मैंने ही थी बोई।

4

बेदर्द जमाना है

फिर भी  दिल गाता

क्या खूब तराना है।

5

मै तेरा पता लेकर

ढूँढ़ रहा तुझको

मैं खुद को सज़ा देकर

 

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