क़िस्त 30
1
तुमसे याराना है
दिल मेरा तुझपर
रहता दीवाना है।
2
इन प्यार की गलियों में
तू ही नज़र आया
फूलों में कलियों में
3
ये पीर नहीं कोई
अपने हाथों से
मैंने ही थी बोई।
4
बेदर्द जमाना है
फिर भी दिल गाता
क्या खूब तराना है।
5
मै तेरा पता लेकर
ढूँढ़ रहा तुझको
मैं खुद को सज़ा देकर
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