रविवार, 8 मई 2022

माहिए 26

 

क़िस्त 26

 

1

लिखती हूँ कहानी मै

दिल के कागज पर

सब याद पुरानी मैं

2

रूठा न करो हमसे

दिल बिंध जाता है

होने वाले गम से।

3

कुछ  ब बात रही बाक़ी

कहना है कितना

अब  रात रही आधी।

4

जो तुम मेरे  होते

फिर न जुदा होते

इक राह चले होते ।

5

यह मन मन्दिर-सा है

आ जाते मिलने

 तुमको  डर किसका है ?

 

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