क़िस्त 26
1
लिखती हूँ कहानी मै
दिल के कागज पर
सब याद पुरानी मैं
2
रूठा न करो हमसे
दिल बिंध जाता है
होने वाले गम से।
3
कुछ ब बात रही बाक़ी
कहना है कितना
अब रात रही आधी।
4
जो तुम मेरे होते
फिर न जुदा होते
इक राह चले होते ।
5
यह मन मन्दिर-सा है
आ जाते मिलने
तुमको
डर किसका है ?
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