क़िस्त 23
1
कुछ प्यार जताना था
मिलने न आए तुम
मौसम भी सुहाना था
2
चढ़ती है जवानी जब
आग लगाता है
ठंडा भी पानी तब
3
इस प्यार की नगरी में
बाँध लिया तुमको
इक प्रेम की गठरी में
4
साथी जो मिला होता
प्रेम के दरिया में
इक फूल खिला होता
5
तेरे संग बातों में
कट जाता है दिन
रातें इन आँखों में
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