रविवार, 8 मई 2022

माहिए 28

 

क़िस्त 28

1

गुमसुम गुमसुम हरदम

क्यों रहते हो तुम

बोलो न मेरे जानम !

2

रोने ही वाला था

पाया तब तुमको

तुमने ही सँभाला  था।

3

कहते हुए रुक जाती

जो कहना है वो

मैं क्यों नहीं कह पाती ?

4

जब  जब तुम लहराती

बागों में चलती

कलियां भी शरमाती

5

जीवन की निशानी है

मेरी ग़ज़लों मे

 इक तेरी कहानी है

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