क़िस्त 27
1
दिल खोया रहता है
यादों में तेरी
जाने क्या कहता है।
2
यादों का सहारा है
जीवन में मेरे
जैसे कि किनारा है।
3
यादों का दरिया है
जी लेंगे हम भी
जीने का जरिया है।
4
पावन मेरा जीवन
मथुरा, काशी सा
घर भी है वृंदावन।
5
फ़ूलों सा अपना मन
महका करता है
जैसे महके गुलशन
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