रविवार, 8 मई 2022

माहिए 29

 

क़िस्त 29

1

तुम एक कहानी हो।   

 [ मेरी चाहत में  }

क्यों  प्रेम दिवानी हो ।

 [

2

दिल तेरे से  मिलता

देख तेरा चेहरा

मन मेरा है खिलता।

 

3

सपना तो सपना है

टूट ही जाना है

 क्या उस को परखना है।

 

4

आँखों में पलता है

सपना इक कोई

फिर हमको छलता है।

 

5

सूरज भी चढ़ता है

 शाम ढली तो फिर

नित क्रम में ढलता है ।

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