क़िस्त 29
1
तुम एक कहानी हो।
[ मेरी चाहत में }
क्यों प्रेम दिवानी हो ।
[
2
दिल तेरे से मिलता
देख तेरा चेहरा
मन मेरा है खिलता।
3
सपना तो सपना है
टूट ही जाना है
क्या उस को परखना है।
4
आँखों में पलता है
सपना इक कोई
फिर हमको छलता है।
5
सूरज भी चढ़ता है
शाम ढली तो फिर
नित क्रम में ढलता है ।
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