रविवार, 8 मई 2022

माहिए 25

 

क़िस्त 25

1

दुनिया से हारा हूँ

  मन से नहीं हारा

उठता मैं दुबारा हूँ।

2

कुछ बातें करती हूँ

तनहाई में ,मैं

तेरा दम भरती हूँ।

3

मिलने में दूरी है

सपनों में भी क्यों

ऐसी  मजबूरी है ?

4

दिल मान नहीं सकता

प्यार करे ना वो

रोके से कहाँ रुकता।

5

लगता तू प्यारा है

दिल कहता रहता

तू प्यार हमारा है

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