क़िस्त 43
1
यह साथ हमारा है
छूट नहीं सकता
जो हाथ तुम्हारा है
2
क्या ख़ूब नहाना है
प्यार की गंगा में
बस प्यार लुटाना है
3
जीवन की अभिलाषा
होती कब पूरी
फिर भी तो है आशा
4
कैसा यह मंज़र है
बातें मीठी हैं
हाथों में ख़ंज़र है
5
ये बात पुरानी है
सुन रख्खे हम ने
राजा है रानी है
6
मीठे कुछ राग भरो
बासंती ऋतु है
जीवन में फ़ाग भरो
डा0
अर्चना पाण्डेय
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