बुधवार, 22 जून 2022

माहिए : क़िस्त 43

 

 

क़िस्त 43

1

यह साथ हमारा है

छूट नहीं सकता

जो हाथ तुम्हारा है

2

क्या ख़ूब नहाना है

प्यार की गंगा में

बस प्यार लुटाना  है

3

जीवन की अभिलाषा

होती कब पूरी

फिर भी तो है आशा

4

कैसा यह मंज़र है

बातें मीठी हैं

हाथों में ख़ंज़र है

5

ये बात पुरानी है

सुन रख्खे हम ने

 राजा है रानी है

6

मीठे कुछ राग भरो

बासंती ऋतु है

जीवन में फ़ाग भरो

 

डा0 अर्चना पाण्डेय

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