किस्त 37
1
माथे
पर चंदन है
फूलों
की थाली
सादर
अभिनंदन है
2
अभिनंदन
वंदन है
दिल
में आ जाओ
यह
दिल का बंधन है
3
हर
पल यह तन-मन-धन
तुझको
अर्पण है
मेरा
सारा जीवन
4
हम
द्वार खड़े तेरे
शरण
हमें देना
हारे जग के फेरे
5
यह
स्नेह नहीं टूटे
जग
क्या करना
जग
छूटे तो छूटे
डा0 अर्चना
पाण्डेय
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