सोमवार, 13 जून 2022

माहिए : क़िस्त 41

 

किस्त 41

1

आंखों के तारे हो

तुम ही तो मेरे

जीने के सहारे हो

 

2

क्या रूप सलोना था !

दिल बहला मेरा

क्या खूब खिलौना था

 

3

दिल तुम पर  दीवाना

सीख लिया हमने

हमदम ! अब इतराना

 

4

तुमको था बतलाना

तुम ने सुना ही नहीं

 अब क्या है  जतलाना ?

 

5

पाया है तुम्हे खो कर

दुनिया से तो बस

मिलता ही रहा ठोकर

 

-डा0 अर्चना पाण्डेय –

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