क़िस्त 42
1
यादों में बसे हो तुम
ढूँढ रही तुम को
रहते हो कहाँ पर गुम
2
घूँघट में छुपा लेते
चेहरा हम अपना
दर्शन तो नहीं देते
3
हम मान लिए ग़लती
ऐसी साइत तो
हर बार नहीं मिलती
4
हर बात ज़फ़ाओं की
याद हमे रहती
हर बात दुआओं की
5
ता उम्र दुआ देंगे
साथ हमें ले लो
हर ग़म को भुला देंगे
डा0 अर्चना पाण्डेय [
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