रविवार, 12 जून 2022

माहिए : क़िस्त 40

 

क़िस्त 40

1

बरसों से क्या जाना

कुछ भी नहीं समझा

 अब तक था अनजाना

 

2

तनहाई पीना है

हमको तो साक़ी

प्यासा ही जीना है

 

3

कैसा यह प्याला है

मन ही नहीं भरता

कैसी मधुशाला है ?

 

4

तुम हमसे जो रूठे

जग रूठा हमसे

सब रिश्ते हैं झूठे

 

5

वो प्यार नहीं होता

जब न कभी कोई

तकरार नहीं होता

 

डा0 अर्चना पाण्डेय

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