एक गीत : दीपावली पर
बरस बाद आई है फिर से दिवाली
चलो प्यार का एक दीपक जलाएं
सभी की खुशी के लिए हम जिए हैं
सुधा और विष के भी प्याले पिए हैं
बची चार दिन की है जो जिंदगानी
उसी में से अपने लिए पल चुराएँ
सनम मेरे बालों में गजरा सजा दो
यह पूजा की थाली जरा तुम उठा दो
मुंडेरों पे दीपक सजाकर ऐ हमदम
चलो दीप की रोशनी में नहाएँ
खुशी बाँट दो तुम मिठाई से पहले
रहे ना उदासी, हों चेहरे रुपहले
दिवाली में सब को गले से लगा कर
सभी के लबों पर हँसी हम सजाएँ
मेरी जिंदगी को तुम्हीं ने संवारा
न था साथ कोई तुम्हीं ने निखारा
करूं शुक्रिया आज फिर से तुम्हारा
पुराने दिनों में चलो लौट जाएँ
बरस बाद आई है फिर से दिवाली
चलो प्यार का एक दीपक जलाएँ
डॉ अर्चना पाण्डेय
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