रविवार, 28 फ़रवरी 2021

कतरन 48 : दि ग्राम टू डे - में प्रकाशित --डा0 अर्चना पांडेय -एक साहित्यिक परिचय

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साहित्यिक परिचय : डा.अर्चना पाण्डेय

Posted bythegramtoday25/02/2021Posted inसाहित्य

नाम – डॉ अर्चना पाण्डेय

जन्म तिथि – 20 फरवरी, 1976, माउंट आबू, राजस्थान.

परिवार – मेरे एकल परिवार में शामिल हैं मेरे जीवनसाथी श्री अमित कुमार चतुर्वेदी जी जो कि रक्षा मंत्रालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं और दो बेटियां अस्मि और अवनि।


शिक्षा – एमए(हिंदी), बी.एड, एम-फिल, पीएचडी (भाषा-विज्ञान) पत्रकारिता एवं अनुवाद

में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, होटल, ट्रेवल एवं पर्यटन प्रबंधन डिप्लोमा.पूर्व में टी वी पर समाचार वाचक व रेडियो पर उद्घोषक रही.


व्यवसाय – डीआरडीओ रक्षा मंत्रालय में सहायक निदेशक (राजभाषा), के रूप में कार्यरत.

पुस्तकें – रक्षा अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र में विज्ञान लेखन(भाषा विज्ञान)

‘गुलमोहर’ सांझा काव्य-संकलन,

‘अस्त्र’ गृह-पत्रिका का संपादन,

रक्षा-शब्दावली (शब्दकोश) का संपादन.

काव्य धारा द्वारा प्रकाशित ‘एक कदम और’ सांझा-संकलन में कविताएँ प्रकाशित.


सम्मान/पुरस्कार – ‘विद्या- वाचस्पति’ विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर

(बिहार)(2012) ‘विद्या-सागर’ विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर

(2018) ‘भाषा-समन्वयक’सम्मान अंतरा-शब्दशक्ति(2019) ‘काव्य-रथी’

(काव्यधारा प्रकाशन)(2020) ‘राजभाषा पुरस्कार’ डीआरडीएल (रक्षा


मंत्रालय)

आपकी काव्य यात्रा-

कविता लेखन के मेरे मुख्य प्रेरणा स्रोत मेरे पिताजी श्री राजनाथ पांडेय हैं जो बहुत अच्छे कवि हैं और उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी कविताएं लिखी हैं। माँ लोकगीतों में निपुण थीं सो मेरा रुझान लोकगीत लेखन व गायन में भी रहा। मुझे याद है कि पांच-छह साल की उम्र से ही मुझे कविताओं में बड़ी रुचि थी। मैं पाठ्य पुस्तकों के पाठ कम पढ़ती, पर हिंदी और अंग्रेजी की सभी कविताएं लयबद्ध कंठस्थ कर लेती थी। मां बताती है कि मैं दिन भर कविताओं को ऊँचे स्वर में गाती रहती थी। छोटी थी तो सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ, फिर रामधारी सिंह दिनकर की कविताएँ कविताएं फिर गुलजार की शेरो शायरी अच्छी लगने लगी। पुरानी हिंदी फिल्मों की गजलें और गीत सुनना अच्छा लगता है।


गीत, ग़ज़ल, माहिया, कविता, लोक-गीत आदि थोड़ा-बहुत लिखती व गाती हूँ। भोजपुरी और हिंदी में लिखना पसंद है।


गीतिका💐


मोहिनी एक बंसी बजा दीजिए

प्यार है आप को यह जता दीजिए


ज़िंदगी से परेशान फिरते है हम

कंस अपने जहाँ से मिटा दीजिए


मान ऊँचा रहे दोस्ती का सदा

इक सुदामा सा साथी बता दीजिए


प्यार जैसा लुटाया था मीरा पे तब

प्यार वैसा ही मुझ पर लुटा दीजिए


गोपियाँ है यहीं राधिका भी यहीं

रासलीला हे माधव रचा दीजिए


आज मानव गुनाहों मे डूबा हुआ

चक्र अपना कभी तो चला दीजिए


आज अर्जुन नहीं, ‘अर्चना ‘ है व्यथित

ज्ञान गीता का मुझको सुना दीजिए


डॉ अर्चना पाण्डेय


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धरती मेरे देश की

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साहित्यिक परिचय : डा.अर्चना पाण्डेय

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Posted bythegramtoday25/02/2021Posted inसाहित्य

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समूह सम्पदाक शिवेश्वर दत्त पांडेय मुख्य सम्पदाक सुभाष चंद पांडेय समन्वय सम्पादक बिमलेन्दु भूषण पाण्डेय सम्पादक बिहार मिर शहनवाज 71बल्लूपुर देहरादून उत्तराखण्ड248001


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